गणेश वंदना
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जय गणपति जय गिरिजा नंदन,मूषक वाहन असुर निकंदन,
वक्रतुंड शुचि सूंड सुहावन,
मंगल मूर्ति जय पाप नशावन।
जय गणेश जय जय गणनायक,
आदि देव जय सब सुख दायक,
भाल चंद्र जय जय गजकर्णक,
सुमुख सुरेश जय विघ्न विनाशक।
दुर्वा दल श्रृंगार तुम्हारा,
पान फूल लगे कितना प्यारा,
एकदंत दयावंत कहाते,
विकट विनायक सबके मन भाते।
जय जय हे सिद्धि बुद्धि के दाता,
जय महेश जय पार्वती माता,
सुंदर शोभा अद्भुत तन की
आन हरो अब विपदा जन की।
देते सबको वर मन अभिलाषित,
तुमसे सृष्टि है परिभाषित,
शब्द शब्द मैं महिमा गाऊं,
चरण कमल में भाव चढ़ाऊं।
दास अमित की वंदना, करना प्रभु स्वीकार,
साष्टांग दंडवत नमन करते बारंबार।।
– अमित पाठक शाकद्वीपी
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